Channel: बेख्याली...💝
हौसला खो न दिया तेरी नहीं से हम ने
कितनी शिकनों को चुना तेरी जबीं से हम ने
वो भी क्या दिन थे कि दीवाना बने फिरते थे
सुन लिया था तिरे बारे में कहीं से हम ने
जिस जगह पहले-पहल नाम तिरा आता है
दास्ताँ अपनी सुनाई है वहीं से हम ने
यूँ तो एहसान हसीनों के उठाए हैं बहुत
प्यार लेकिन जो किया है तो तुम्हीं से हम ने
कुछ समझ कर ही ख़ुदा तुझ को कहा है वर्ना
कौन सी बात कही इतने यक़ीं से हम ने
---- जाँ निसार अख्तर
कितनी शिकनों को चुना तेरी जबीं से हम ने
वो भी क्या दिन थे कि दीवाना बने फिरते थे
सुन लिया था तिरे बारे में कहीं से हम ने
जिस जगह पहले-पहल नाम तिरा आता है
दास्ताँ अपनी सुनाई है वहीं से हम ने
यूँ तो एहसान हसीनों के उठाए हैं बहुत
प्यार लेकिन जो किया है तो तुम्हीं से हम ने
कुछ समझ कर ही ख़ुदा तुझ को कहा है वर्ना
कौन सी बात कही इतने यक़ीं से हम ने
---- जाँ निसार अख्तर
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गूढ़ मान्यताओं के बंधन तोड़ कर वो चिल्लाई 'दीपक'
-Amit Pandey 💟
-Amit Pandey 💟
मान लो सब कुछ
इक भ्रम मात्र हो
मैं तुम्हारे साथ
मगर तुम मेरे
ना हो सके हो
पल -छिन को भी
ये ख्याल
मुझे झकझोर -सा
जाता है
बेचैनी /घबराहट /व्याकुलता
सारे शब्द
बौने पड़ जाते है
फिर भी
जीवन तो है
अनरवत चलता रहता है
अपनी निर्धारित
गति सीमा से ||||
तुम्हें दोष देकर
अपमानित कर
खुद के ही
प्रेम पर
प्रश्नचिन्ह लगाकर
आखिर पा भी क्या सकेंगे ?
~🩵
इक भ्रम मात्र हो
मैं तुम्हारे साथ
मगर तुम मेरे
ना हो सके हो
पल -छिन को भी
ये ख्याल
मुझे झकझोर -सा
जाता है
बेचैनी /घबराहट /व्याकुलता
सारे शब्द
बौने पड़ जाते है
फिर भी
जीवन तो है
अनरवत चलता रहता है
अपनी निर्धारित
गति सीमा से ||||
तुम्हें दोष देकर
अपमानित कर
खुद के ही
प्रेम पर
प्रश्नचिन्ह लगाकर
आखिर पा भी क्या सकेंगे ?
~🩵
हो सके तो लौट आओ, भावनाओं में ह्रदय बन;
प्रेम के कुछ गीत हैं, जिनमें कथानक मर रहा है।
अनलिखा है, अनपढ़ा है, अनकहा भी रह न जाए;
कल्पना बीमार हो जब कौन शब्दों को सजाए?
कौन स्याही में ज़रा-सा मन निचोड़े आज फिर से?
कौन काग़ज़ पर तुम्हारे नाम के मोती उगाए?
हर तरफ़ तम से घिरा है आस का दीपक अभागा;
कृष्णपक्षी चाँद जैसे सांस अंतिम भर रहा है।
क्या ज़रूरी है गगन को हर दफ़ा धरती बुलाए?
क्यों नदी ही बस समंदर को हमेशा गुनगुनाए?
फिर पुरानी है कहानी, एक प्यासा, इक कुँआ है;
प्रश्न भी फिर से वही है, कौन, किसके पास आए?
देहरी से ही न जाए लौटकर मधुमास के पल;
आँख में सावन सहेजे मौन पतझर डर रहा है।
तुम अगर आओ, महावर लाल हो-हो कर लजाए;
झाँक कर मेरे नयन में टूटता दरपन जुड़ाए;
मेघ अलकों को सँवारे, चाँदनी पग को पखारे;
ओस की पायल पिरोकर, रात पैरों में पिन्हाए;
~❤️
प्रेम के कुछ गीत हैं, जिनमें कथानक मर रहा है।
अनलिखा है, अनपढ़ा है, अनकहा भी रह न जाए;
कल्पना बीमार हो जब कौन शब्दों को सजाए?
कौन स्याही में ज़रा-सा मन निचोड़े आज फिर से?
कौन काग़ज़ पर तुम्हारे नाम के मोती उगाए?
हर तरफ़ तम से घिरा है आस का दीपक अभागा;
कृष्णपक्षी चाँद जैसे सांस अंतिम भर रहा है।
क्या ज़रूरी है गगन को हर दफ़ा धरती बुलाए?
क्यों नदी ही बस समंदर को हमेशा गुनगुनाए?
फिर पुरानी है कहानी, एक प्यासा, इक कुँआ है;
प्रश्न भी फिर से वही है, कौन, किसके पास आए?
देहरी से ही न जाए लौटकर मधुमास के पल;
आँख में सावन सहेजे मौन पतझर डर रहा है।
तुम अगर आओ, महावर लाल हो-हो कर लजाए;
झाँक कर मेरे नयन में टूटता दरपन जुड़ाए;
मेघ अलकों को सँवारे, चाँदनी पग को पखारे;
ओस की पायल पिरोकर, रात पैरों में पिन्हाए;
~❤️
रहे मलाल किसी के जाने का तो क्या करे,
खो जाने को माने या फिर जाकर हासिल करे!
~Abhiwrites🩵
खो जाने को माने या फिर जाकर हासिल करे!
~Abhiwrites🩵
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ढूँढिए मत आदमी में आदमी सौ फ़ीसदी, क्योंकि जब चलता है सिक्का कुछ ना कुछ घिसता तो है।
ग़म ना कीजे जो नहीं है घर तलक पक्की सड़क, धूल मिट्टी से सना जैसा भी है रस्ता तो है। 💐🙏
ग़म ना कीजे जो नहीं है घर तलक पक्की सड़क, धूल मिट्टी से सना जैसा भी है रस्ता तो है। 💐🙏
खूबसूरती न सूरत में है न लिबास में,
निगाहें जिसे चाहे उसे हसीन कर दें ।।
~🫣🩵
निगाहें जिसे चाहे उसे हसीन कर दें ।।
~🫣🩵
It was 1.00 Am Then 2.00 Am Then 3.00 Am and then I realised "Din to has kar Guzaar lete hoon, Mulaqaat to Khud se aksar Ratoon me hoti hail..."
~Amit Pandey 💟
~Amit Pandey 💟
किसी को हासिल हुई नजरन्दाजी की डिग्रियाँ,
कोई मोहब्बत में जार जार हो गया!
~Abhiwrites🩵
कोई मोहब्बत में जार जार हो गया!
~Abhiwrites🩵
"बुरे वक़्त की कुछ अपनी अदा होती है"
"यारों की यारी भी कुछ बेवफ़ा होती है"
❤️🩹🫂
~Amit Pandey 💟
"यारों की यारी भी कुछ बेवफ़ा होती है"
❤️🩹🫂
~Amit Pandey 💟
मेरी तमाम चाहतों का बस एक सबब है वो,
तुम कैसे कहते हो उसे भूल जाऊं!
🩵~Abhi
तुम कैसे कहते हो उसे भूल जाऊं!
🩵~Abhi
तरस गया हू मैं खुद को देखने के लिए,
आईना भी देखूं तो नजर तुम ही आती हो,
~Amit Pandey 💟
आईना भी देखूं तो नजर तुम ही आती हो,
~Amit Pandey 💟
Download Panchayat – Season 3 (2024)
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In the world of UttarPradesH❤️🔥
Be Someone's MadhyaPradesh🤌🩵
~Abhiwrites⭕️
Be Someone's MadhyaPradesh🤌🩵
~Abhiwrites⭕️
एक ओर ज़िंदगी के सवाल भारी है,
एक तरफ़ हमें खुश रहने की बीमारी है!
कोई अमृत पी कर बैठा है,
तो कहीं किसी की, ज़िंदगी से जंग जारी है!
कोई उम्र गुजरने की खुशी मनाए,
तो कोई खुदखुशी की तैयारी में है!
दो अक्षर पढ़, कोई किताब नहीं पढ़ लेता,
कुछ अनपढ़ कुछ सीख गए, कुछ के दिमाग काफी भारी है!
मैंने कहा था थम कर करना इश्क़,
तुमने ही कहा था उससे मेरी सांसे जारी है,
एक वक्त था जब मुझे अपना कहते थे,
एक आज है, मेरी जान लेने की तैयारी है!
#Abhiwrites
#Review
~Abhiwrites🩵
एक तरफ़ हमें खुश रहने की बीमारी है!
कोई अमृत पी कर बैठा है,
तो कहीं किसी की, ज़िंदगी से जंग जारी है!
कोई उम्र गुजरने की खुशी मनाए,
तो कोई खुदखुशी की तैयारी में है!
दो अक्षर पढ़, कोई किताब नहीं पढ़ लेता,
कुछ अनपढ़ कुछ सीख गए, कुछ के दिमाग काफी भारी है!
मैंने कहा था थम कर करना इश्क़,
तुमने ही कहा था उससे मेरी सांसे जारी है,
एक वक्त था जब मुझे अपना कहते थे,
एक आज है, मेरी जान लेने की तैयारी है!
#Abhiwrites
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~Abhiwrites🩵
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