मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। मेहनत से निकला हुआ अभ्यर्थी अलग ही चमक रखता है। उसका बात रखने का तरीक़ा , भावाभिव्यक्ति , कॉन्फिडेंस , सहजता , ख़ुद पर विश्वास , अविरल यात्रा तथा उसकी गहराई अलग लेवल की होती है ।
ग़लत तरीक़ों से चयनित व्यक्ति में खोखलापन रहता है , अंदरूनी भय सदैव रहेगा , कॉन्फ़िडेंस तो हमेशा कम रहेगा या उसकी क्षतिपूर्ति हेतु ओवर कॉन्फिडेंस रखेगा , सहजता का अभाव रहेगा बस छलकता रहेगा । पब्लिकली ख़ुशी मना नहीं सकता , आंतरिक ख़ुशी कभी होगी नहीं ।
इसलिए कहता हूँ जीवन को इतना जटिल क्यों करना , बेहतर है या तो मेहनत से लग जाओ या मेहनत करके अपना ख़ुद का व्यवसाय करिए । ईमानदारी की दाल , ग़लत कार्यों से अर्जित धन की मलाई से कहीं अधिक सुकून देह होती है ।
बाक़ी आजकल अभ्यर्थी पूछ रहे है कि सर सुना है अगले सप्ताह व्याख्याता की भर्ती आ रही है ! आ जाए तो बढ़िया है लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि आयोग भी सोच रहा होगा हमारे पास तो अभ्यर्थना भी नहीं आयी है और मार्केट में भर्ती पहुँचने की ख़बर तक फैला दी गई है ☺️। इसलिए पढ़ते रहें भर्ती आनी ही है बस थोड़ा वक्त लगेगा, मगर हाँ अधिक वक़्त नहीं लगेगा ।
✍️ गणपत सिंह राजपुरोहित
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