Channel: धडपडणाऱ्या_तरुणाईसाठी....
*जो नेता समाजावर होणारा अन्याय उघड्या डोळ्यांनी बघतो अथवा समाजावर होणारा अत्याचार रोखण्यास असमर्थ ठरतो, असा नेता समाजाचे भवितव्य घडवू शकत नाही. असा नेताच बदला म्हणजे समाजाची स्थिती बदलेल.*
*- डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर*
#Vote_for_a_better_INDIA🇮🇳
💫🇮🇳📚📓📖✒️🎓✊💙🙏
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मुल्ला नसरुद्दीन ने एक बार आत्महत्या करने की कोशिश की। पिस्तौल खरीद लाया। एक कनस्तर में मिट्टी का तेल भर लिया। एक रस्सी ली। नदी के किनारे पहुंचा। एक टीले पर चढ़ गया। एक वृक्ष से रस्सी बांधी। रस्सी को गले में बांधा। सब उपाय किए थे उसने, ताकि किसी तरह की चूक न हो। अगर एक उपाय चूक जाए, तो दूसरा उपाय काम में आ जाए।
फिर गले में रस्सी बांधकर, शरीर पर मिट्टी का तेल उंड़ेल लिया। फिर आग लगायी और झूल गया पहाड़ी से--कि अगर किसी तरह गिर भी जाए, तो गहरी नदी है, उसमें मर जाएगा। और पिस्तौल भी हाथ में रखे है। पिस्तौल चलायी, सिर में मारी-झूलते हुए।
मगर सब चूक हो गयी। पिस्तौल लगी रस्सी में, जो बाधी थी। सो धड़ाम से पानी में गिर गया। पानी में गिर गया तो आग बुझ गयी। और जब शाम को घर लौटकर आया, तो लोगों ने पूछा कि मामला क्या है? उसने कहा सब गड़बड़ हो गया। अगर तैरना न आता होता, तो आज मर ही गए होते।
तुम इन झंझटों में न पड़ो। सुगम उपाय आत्महत्या का मैं तुम्हें बताता हूं : संन्यास तुम ले लो। कम से कम अपनी जीवन-चर्या को तो नया ढंग दो।
ओशो
फिर गले में रस्सी बांधकर, शरीर पर मिट्टी का तेल उंड़ेल लिया। फिर आग लगायी और झूल गया पहाड़ी से--कि अगर किसी तरह गिर भी जाए, तो गहरी नदी है, उसमें मर जाएगा। और पिस्तौल भी हाथ में रखे है। पिस्तौल चलायी, सिर में मारी-झूलते हुए।
मगर सब चूक हो गयी। पिस्तौल लगी रस्सी में, जो बाधी थी। सो धड़ाम से पानी में गिर गया। पानी में गिर गया तो आग बुझ गयी। और जब शाम को घर लौटकर आया, तो लोगों ने पूछा कि मामला क्या है? उसने कहा सब गड़बड़ हो गया। अगर तैरना न आता होता, तो आज मर ही गए होते।
तुम इन झंझटों में न पड़ो। सुगम उपाय आत्महत्या का मैं तुम्हें बताता हूं : संन्यास तुम ले लो। कम से कम अपनी जीवन-चर्या को तो नया ढंग दो।
ओशो
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