प्रोजेक्ट एलिफेंट की 21वीं स्टियरिंग कमेटी मीटिंग 26 जून 2025 को किस स्थान पर आयोजित की गई?
Anonymous Quiz
27%
नई दिल्ली
32%
भोपाल
34%
देहरादून
8%
गुवाहाटी
हाल ही में NATO शिखर सम्मेलन 2025 का आयोजन कहां किया गया?
Anonymous Quiz
9%
फ्रांस
28%
जर्मनी
45%
बेल्जियम
18%
नीदरलैंड
नीरज चोपड़ा ने हाल ही में किस देश में आयोजित Ostrava Golden Spike एथलेटिक्स मीट में गोल्ड जीता?
Anonymous Quiz
10%
जर्मनी
23%
फ्रांस
53%
चेक गणराज्य
13%
स्विट्ज़रलैंड
हाल ही में भारत का पहला बटरफ्लाई सैंक्चुरी किस राज्य में स्थापित किया गया है?
Anonymous Quiz
13%
कर्नाटक
39%
केरल
42%
तमिलनाडु
6%
महाराष्ट्र
भारत ने हाल ही में किस देश के साथ सबमरीन सहयोग के लिए समझौता किया है?
Anonymous Quiz
25%
फ्रांस
52%
दक्षिण अफ्रीका
18%
अर्जेन्टीना
5%
मलेशिया
केंद्र सरकार ने जासूसी एजेंसी “रॉ” (R&AW) का नया प्रमुख किसे नियुक्त किया?
Anonymous Quiz
20%
राजीव सिन्हा
59%
पराग जैन
19%
राजीव जैन
3%
राजेंद्र वर्मा
– केंद्र सरकार ने जासूसी एजेंसी “रॉ” (R&AW) का नया प्रमुख पराग जैन का बनाया है।
– केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह फैसला 28 जून 2025 को लिया।
– उनका कार्यकाल 1 जुलाई 2025 से दो वर्षों तक रहेगा।
– उनके पद का नाम सक्रेट्री है। यह पद “रॉ” (R&AW) प्रमुख का होता है।
– उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की योजना के पीछे मास्टरमाइंड के रूप में जाना जाता है।
– उन्होंने रवि सिन्हा की जगह ली। सिन्हा का कार्यकाल 30 जून तक था।
“रॉ” (R&AW) के बारे में
– रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है।
– स्थापना : 21 सितम्बर 1968
– पहले सचिव : रामेश्वर नाथ काओ
– “रॉ” (R&AW) कैबिनेट सेक्रेटेरियट के अंडर में होता है।
– इसके सचिव दैनिक आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को रिपोर्ट करते हैं।
– एजेंसी का प्राथमिक कार्य विदेशी खुफिया जानकारी जुटाना , आतंकवाद का मुकाबला करना, प्रसार का मुकाबला करना , भारतीय नीति निर्माताओं को सलाह देना और भारत के विदेशी रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाना है।
पराग जैन के बारे में
– वह पंजाब कैडर के 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं।
– उन्हें 1 जनवरी, 2021 को पंजाब में पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद पर पदोन्नत किया गया था, हालाँकि वे तब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सेवारत थे और इस प्रकार उन्हें केवल नाममात्र के लाभ ही मिले थे।
– पराग जैन, “रॉ” (R&AW) के चीफ बनने से पहले “एविएशन रिसर्च सेंटर” (ARC) के प्रमुख थे। यह “रॉ” (R&AW) का ही एक हिस्सा है।
– यह सेंटर हवाई निगरानी, सिगिनट ऑपरेशन, फोटो टोही उड़ानें (फोटोइंट), सीमाओं की निगरानी और इमेजरी इंटेलिजेंस (IMINT) से संबंधित संगठन है।
– जैन को मानव खुफिया (HUMINT) और तकनीकी खुफिया (TECHINT) दोनों को एकीकृत करने में उनकी असाधारण विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है!
ऑपरेशन सिन्दूर में योगदान
– उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की योजना के पीछे मास्टरमाइंड के रूप में जाना जाता है, जिसमें खुफिया सहायता प्रदान की गई थी, जिससे सशस्त्र बलों को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक हमले करने में सक्षम बनाया गया था।
– वह “एविएशन रिसर्च सेंटर” (ARC) के प्रमुख थे।
– भारत ने 7 मई को सीमा और नियंत्रण रेखा के पार नौ आतंकी शिविरों पर हमला किया, जिनमें प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय भी शामिल थे।
– मिसाइल हमले जैन के नेतृत्व वाली टीम द्वारा एकत्रित सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर किए गए थे।
– हालांकि मिसाइल हमले में कुछ ही मिनट लगे, लेकिन अंदरूनी सूत्रों ने जोर देकर कहा कि वर्षों की जमीनी तैयारी और कड़ी मेहनत से नेटवर्क निर्माण के कारण ही इस तरह का सटीक निशाना साधना संभव हो पाया।
– पराग जैन कश्मीर में व्यापक जमीनी अनुभव के साथ, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के चल रहे प्रयासों का मुकाबला करने के लिए अच्छी स्थिति में हैं।
– वह पड़ोस की चुनौतियों और खालिस्तान आतंकवादी समूहों से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में भी व्यापक अनुभव रखते हैं।
– उन्होंने 2019 में जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य के पुनर्गठन के दौरान जम्मू और कश्मीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।
विदेशी मिशन में भी काम कर चुके हैं जैन
– पराग जैन श्रीलंका और कनाडा में भारतीय मिशनों में भी काम कर चुके हैं।
– कनाडा में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने उस देश की धरती से संचालित खालिस्तान आतंकी मॉड्यूल पर नज़र रखी।
– केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह फैसला 28 जून 2025 को लिया।
– उनका कार्यकाल 1 जुलाई 2025 से दो वर्षों तक रहेगा।
– उनके पद का नाम सक्रेट्री है। यह पद “रॉ” (R&AW) प्रमुख का होता है।
– उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की योजना के पीछे मास्टरमाइंड के रूप में जाना जाता है।
– उन्होंने रवि सिन्हा की जगह ली। सिन्हा का कार्यकाल 30 जून तक था।
“रॉ” (R&AW) के बारे में
– रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) भारत की विदेशी खुफिया एजेंसी है।
– स्थापना : 21 सितम्बर 1968
– पहले सचिव : रामेश्वर नाथ काओ
– “रॉ” (R&AW) कैबिनेट सेक्रेटेरियट के अंडर में होता है।
– इसके सचिव दैनिक आधार पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को रिपोर्ट करते हैं।
– एजेंसी का प्राथमिक कार्य विदेशी खुफिया जानकारी जुटाना , आतंकवाद का मुकाबला करना, प्रसार का मुकाबला करना , भारतीय नीति निर्माताओं को सलाह देना और भारत के विदेशी रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाना है।
पराग जैन के बारे में
– वह पंजाब कैडर के 1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं।
– उन्हें 1 जनवरी, 2021 को पंजाब में पुलिस महानिदेशक (DGP) के पद पर पदोन्नत किया गया था, हालाँकि वे तब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सेवारत थे और इस प्रकार उन्हें केवल नाममात्र के लाभ ही मिले थे।
– पराग जैन, “रॉ” (R&AW) के चीफ बनने से पहले “एविएशन रिसर्च सेंटर” (ARC) के प्रमुख थे। यह “रॉ” (R&AW) का ही एक हिस्सा है।
– यह सेंटर हवाई निगरानी, सिगिनट ऑपरेशन, फोटो टोही उड़ानें (फोटोइंट), सीमाओं की निगरानी और इमेजरी इंटेलिजेंस (IMINT) से संबंधित संगठन है।
– जैन को मानव खुफिया (HUMINT) और तकनीकी खुफिया (TECHINT) दोनों को एकीकृत करने में उनकी असाधारण विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है!
ऑपरेशन सिन्दूर में योगदान
– उन्हें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की योजना के पीछे मास्टरमाइंड के रूप में जाना जाता है, जिसमें खुफिया सहायता प्रदान की गई थी, जिससे सशस्त्र बलों को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक हमले करने में सक्षम बनाया गया था।
– वह “एविएशन रिसर्च सेंटर” (ARC) के प्रमुख थे।
– भारत ने 7 मई को सीमा और नियंत्रण रेखा के पार नौ आतंकी शिविरों पर हमला किया, जिनमें प्रतिबंधित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय भी शामिल थे।
– मिसाइल हमले जैन के नेतृत्व वाली टीम द्वारा एकत्रित सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर किए गए थे।
– हालांकि मिसाइल हमले में कुछ ही मिनट लगे, लेकिन अंदरूनी सूत्रों ने जोर देकर कहा कि वर्षों की जमीनी तैयारी और कड़ी मेहनत से नेटवर्क निर्माण के कारण ही इस तरह का सटीक निशाना साधना संभव हो पाया।
– पराग जैन कश्मीर में व्यापक जमीनी अनुभव के साथ, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के चल रहे प्रयासों का मुकाबला करने के लिए अच्छी स्थिति में हैं।
– वह पड़ोस की चुनौतियों और खालिस्तान आतंकवादी समूहों से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में भी व्यापक अनुभव रखते हैं।
– उन्होंने 2019 में जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन राज्य के पुनर्गठन के दौरान जम्मू और कश्मीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।
विदेशी मिशन में भी काम कर चुके हैं जैन
– पराग जैन श्रीलंका और कनाडा में भारतीय मिशनों में भी काम कर चुके हैं।
– कनाडा में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने उस देश की धरती से संचालित खालिस्तान आतंकी मॉड्यूल पर नज़र रखी।
केंद्रीय कैबिनेट ने किस जिले में “अंतर्राष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र” स्थापित करने का फैसला किया?
Anonymous Quiz
40%
आगरा
37%
शिमला
21%
भोवाली
2%
जालंधर
– केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के सिंगना में पेरू स्थित अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी।
– यह फैसला केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 25 जून 2025 को किया।
– यह केंद्र दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा आलू अनुसंधान केंद्र होगा।
– सींगना में 138 हेक्टेयर में राजकीय आलू फार्म है।
– इसके दस हेक्टेयर में अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र, पेरू की नई शाखा खुलेगी।
परियोजना की कुल लागत ₹171 करोड़
– परियोजना की कुल लागत ₹171 करोड़ है , जिसमें भारत ₹111 करोड़ का योगदान देगा और सीआईपी (अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र) ₹60 करोड़ प्रदान करेगा।
– यूपी सरकार ने इसके लिए 10 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराई है।
अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के बारे में
– इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (इसे CIP के नाम से जाना जाता है, जो स्पेनिश भाषा के नाम “सेंट्रो इंटरनैशनल डे ला पापा” का शॉर्ट फॉर्म है)
– पेरू की राजधानी लीमा में इसका हेडक्वार्टर है।
– इसकी स्थापना 1971 में आलू, शकरकंद (sweet potato) और एंडियन जड़ों और कंदों पर ध्यान केंद्रित करते हुए की गई।
– आलू की फसल लैटिन अमेरिका में पेरू-बोलिवियन एंडीज की मूल निवासी है, और स्पेनियों और पुर्तगालियों द्वारा दुनिया भर में फैलाई गई जिन्होंने इस महाद्वीप पर उपनिवेश स्थापित किया।
– आलू 17वीं शताब्दी में भारत पहुंचे।
– यह केंद्र दुनिया में आलू और शकरकंद पर केंद्रित एक प्रमुख रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन है।
– आगरा से पहले तक दुनिया में इसकी सिर्फ दो शाखाएं थी।
– पेरू के अलावा चीन और अफ्रीका में आलू पर शोध हो रहा है। अब आगरा के सींगना में ये तीसरा शोध केंद्र होगा।
आगरा के सींगना में केंद्र
– यहां आलू की ऐसी किस्मों को पैदा किया जाएगा, जो भारत में नहीं होती या आगरा व आस-पास क्षेत्र के वातावरण में नहीं हो सकती।
– 20 मई 2025 को पेरू अंतरराष्ट्रीय आलू बोर्ड सदस्यों ने सींगना फार्म का निरीक्षण किया था।
– इस केंद्र की स्थापना कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से होगी।
यह कदम महत्वपूर्ण क्यों है?
– चावल और गेहूं के बाद आलू दुनिया में तीसरी सबसे ज़्यादा उपलब्ध खाद्य फ़सल है।
– जबकि मक्का और कसावा के बाद शकरकंद छठे स्थान पर है।
– हालाँकि भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक है, उसके बाद चीन है, लेकिन इसकी औसत उपज 25 टन प्रति हेक्टेयर है।
– जो इसकी संभावित 50 टन प्रति हेक्टेयर से लगभग आधी है।
– इन कम संख्याओं का एक प्रमुख कारण उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता की कमी है।
– इस केंद्र की स्थापना से घरेलू आलू बीज उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पड़ोसी देशों से बीज आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी।
– अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) आलू के संरक्षण और आनुवंशिकी पर वैश्विक विज्ञान विशेषज्ञता को भारत में लाएगा।
भारत में प्रमुख उत्पादक राज्य
– उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल आलू उत्पादन में अग्रणी हैं, जिनमें से प्रत्येक ने 2020-21 में 15 मिलियन टन का योगदान दिया।
– बिहार में 9 मिलियन टन उत्पादन होता है, तथा गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
– यह फैसला केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 25 जून 2025 को किया।
– यह केंद्र दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा आलू अनुसंधान केंद्र होगा।
– सींगना में 138 हेक्टेयर में राजकीय आलू फार्म है।
– इसके दस हेक्टेयर में अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र, पेरू की नई शाखा खुलेगी।
परियोजना की कुल लागत ₹171 करोड़
– परियोजना की कुल लागत ₹171 करोड़ है , जिसमें भारत ₹111 करोड़ का योगदान देगा और सीआईपी (अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र) ₹60 करोड़ प्रदान करेगा।
– यूपी सरकार ने इसके लिए 10 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराई है।
अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के बारे में
– इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (इसे CIP के नाम से जाना जाता है, जो स्पेनिश भाषा के नाम “सेंट्रो इंटरनैशनल डे ला पापा” का शॉर्ट फॉर्म है)
– पेरू की राजधानी लीमा में इसका हेडक्वार्टर है।
– इसकी स्थापना 1971 में आलू, शकरकंद (sweet potato) और एंडियन जड़ों और कंदों पर ध्यान केंद्रित करते हुए की गई।
– आलू की फसल लैटिन अमेरिका में पेरू-बोलिवियन एंडीज की मूल निवासी है, और स्पेनियों और पुर्तगालियों द्वारा दुनिया भर में फैलाई गई जिन्होंने इस महाद्वीप पर उपनिवेश स्थापित किया।
– आलू 17वीं शताब्दी में भारत पहुंचे।
– यह केंद्र दुनिया में आलू और शकरकंद पर केंद्रित एक प्रमुख रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन है।
– आगरा से पहले तक दुनिया में इसकी सिर्फ दो शाखाएं थी।
– पेरू के अलावा चीन और अफ्रीका में आलू पर शोध हो रहा है। अब आगरा के सींगना में ये तीसरा शोध केंद्र होगा।
आगरा के सींगना में केंद्र
– यहां आलू की ऐसी किस्मों को पैदा किया जाएगा, जो भारत में नहीं होती या आगरा व आस-पास क्षेत्र के वातावरण में नहीं हो सकती।
– 20 मई 2025 को पेरू अंतरराष्ट्रीय आलू बोर्ड सदस्यों ने सींगना फार्म का निरीक्षण किया था।
– इस केंद्र की स्थापना कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से होगी।
यह कदम महत्वपूर्ण क्यों है?
– चावल और गेहूं के बाद आलू दुनिया में तीसरी सबसे ज़्यादा उपलब्ध खाद्य फ़सल है।
– जबकि मक्का और कसावा के बाद शकरकंद छठे स्थान पर है।
– हालाँकि भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक है, उसके बाद चीन है, लेकिन इसकी औसत उपज 25 टन प्रति हेक्टेयर है।
– जो इसकी संभावित 50 टन प्रति हेक्टेयर से लगभग आधी है।
– इन कम संख्याओं का एक प्रमुख कारण उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता की कमी है।
– इस केंद्र की स्थापना से घरेलू आलू बीज उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पड़ोसी देशों से बीज आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी।
– अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) आलू के संरक्षण और आनुवंशिकी पर वैश्विक विज्ञान विशेषज्ञता को भारत में लाएगा।
भारत में प्रमुख उत्पादक राज्य
– उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल आलू उत्पादन में अग्रणी हैं, जिनमें से प्रत्येक ने 2020-21 में 15 मिलियन टन का योगदान दिया।
– बिहार में 9 मिलियन टन उत्पादन होता है, तथा गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की “एशिया में जलवायु की स्थिति 2024 रिपोर्ट” में अब तक का सबसे गर्म वर्ष कौन सा रहा?
Anonymous Quiz
2%
वर्ष 2022
31%
वर्ष 2023
43%
वर्ष 2024
23%
वर्ष 2025
– WMO की एशिया में जलवायु की स्थिति 2024 रिपोर्ट “State of the Climate in Asia 2024”, जून 2025 में जारी की गई है।
– रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 एशिया में अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा।
– जिसमें व्यापक और लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव थी।
– WMO द्वारा वैश्विक औसत तापमान की निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी छह डेटासेटों के अनुसार, 2024 में वैश्विक औसत तापमान 1850-2024 की अवधि के लिए रिकॉर्ड पर सबसे अधिक था।
– जिसने 2023 में स्थापित 1.45 डिग्री सेल्सियस के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।
– एशिया वैश्विक एवरेज से दोगुनी गति से गर्म हो रहा है।
– WMO महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा कि 2015 से 2024 तक का प्रत्येक वर्ष रिकॉर्ड पर 10 सबसे गर्म वर्षों में से एक था।
– रिपोर्ट ने एशिया में रिकॉर्ड-तोड़ तापमान, समुद्र स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, और विनाशकारी तूफानों व बाढ़ जैसी चरम घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
ग्लेशियरों में भारी नुकसान
– मध्य हिमालय और तियान शान के 24 ग्लेशियरों में से 23 को भारी नुकसान हुआ, जिससे खतरे बढ़ गए। जिसमें ग्लेशियल झील के फटने से बाढ़ भूस्खलन और जल सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक जोखिम शामिल हैं।
– जबकि अत्यधिक वर्षा ने क्षेत्र के कई देशों में तबाही मचाई और भारी हताहत हुए।
घातक मौसम घटनाएं (2024 में)
– UAE: 1949 के बाद सबसे अधिक 24 घंटे की वर्षा-259.5 मिमी।
– नेपाल बाढ़ (सितंबर 2024): 246 मौतें, आर्थिक क्षति NPR 12.85 अरब।
– भारत (केरल): वायनाड जिले में भारी वर्षा से 350 से अधिक मौतें।
– भारत में तूफानों के साथ-साथ आकाशीय बिजली गिरने से 1,300+ मौतें, 10 जुलाई को अकेले 72 मौतें। अत्यधिक गर्म लहरों ने 450 से अधिक लोगों की जान ले ली
– चीन: सूखे से 48 लाख लोग प्रभावित, फसलें नष्ट, आर्थिक नुकसान।
– श्रीलंका बाढ़ (दिसंबर 2024): 4.5 लाख लोग प्रभावित, 5,000+ लोग विस्थापित।
2024 में चक्रवात बने:
– रिमाल (बंगाल की खाड़ी): 111 किमी/घंटा की रफ्तार, बांग्लादेश और भारत में 2.5 मीटर तक बाढ़।
– असना (अरब सागर): 1891 के बाद केवल तीसरा चक्रवात इस क्षेत्र में।
– डाना और फेंगल: फेंगल श्रीलंका को पार कर भारत में टकराया, मौतें और विस्थापन।
– रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 एशिया में अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा।
– जिसमें व्यापक और लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव थी।
– WMO द्वारा वैश्विक औसत तापमान की निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी छह डेटासेटों के अनुसार, 2024 में वैश्विक औसत तापमान 1850-2024 की अवधि के लिए रिकॉर्ड पर सबसे अधिक था।
– जिसने 2023 में स्थापित 1.45 डिग्री सेल्सियस के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया।
– एशिया वैश्विक एवरेज से दोगुनी गति से गर्म हो रहा है।
– WMO महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा कि 2015 से 2024 तक का प्रत्येक वर्ष रिकॉर्ड पर 10 सबसे गर्म वर्षों में से एक था।
– रिपोर्ट ने एशिया में रिकॉर्ड-तोड़ तापमान, समुद्र स्तर में वृद्धि, ग्लेशियरों का तेजी से पिघलना, और विनाशकारी तूफानों व बाढ़ जैसी चरम घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
ग्लेशियरों में भारी नुकसान
– मध्य हिमालय और तियान शान के 24 ग्लेशियरों में से 23 को भारी नुकसान हुआ, जिससे खतरे बढ़ गए। जिसमें ग्लेशियल झील के फटने से बाढ़ भूस्खलन और जल सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक जोखिम शामिल हैं।
– जबकि अत्यधिक वर्षा ने क्षेत्र के कई देशों में तबाही मचाई और भारी हताहत हुए।
घातक मौसम घटनाएं (2024 में)
– UAE: 1949 के बाद सबसे अधिक 24 घंटे की वर्षा-259.5 मिमी।
– नेपाल बाढ़ (सितंबर 2024): 246 मौतें, आर्थिक क्षति NPR 12.85 अरब।
– भारत (केरल): वायनाड जिले में भारी वर्षा से 350 से अधिक मौतें।
– भारत में तूफानों के साथ-साथ आकाशीय बिजली गिरने से 1,300+ मौतें, 10 जुलाई को अकेले 72 मौतें। अत्यधिक गर्म लहरों ने 450 से अधिक लोगों की जान ले ली
– चीन: सूखे से 48 लाख लोग प्रभावित, फसलें नष्ट, आर्थिक नुकसान।
– श्रीलंका बाढ़ (दिसंबर 2024): 4.5 लाख लोग प्रभावित, 5,000+ लोग विस्थापित।
2024 में चक्रवात बने:
– रिमाल (बंगाल की खाड़ी): 111 किमी/घंटा की रफ्तार, बांग्लादेश और भारत में 2.5 मीटर तक बाढ़।
– असना (अरब सागर): 1891 के बाद केवल तीसरा चक्रवात इस क्षेत्र में।
– डाना और फेंगल: फेंगल श्रीलंका को पार कर भारत में टकराया, मौतें और विस्थापन।
नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) शिखर सम्मेलन 2025 कहां आयोजित हुआ?
Anonymous Quiz
5%
कनाडा
39%
बेल्जियम
17%
अमेरिका
38%
नीदरलैंड
– पहली बार नीदरलैंड के शहर द हेग स्थित वर्ल्ड फोरम में 24-25 जून 2025 तक NATO शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ।
– 1949 में NATO की स्थापना के बाद से यह पहला अवसर था जब नीदरलैंड ने शिखर सम्मेलन की मेजबानी की।
– इस आयोजन में 32 सदस्य देशों और साझेदार राष्ट्रों के करीब 45 राष्ट्राध्यक्ष और सरकार प्रमुख शामिल थे।
क्या है NATO
– NATO : नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (फ्रेंच भाषा में नाम – OTAN : ऑर्गेनाइज़ेशन डू ट्रैटे डे ल’अटलांटिक नॉर्ड)
– यह यूरोप और उत्तरी अमेरिकी देशों का एक सैन्य और राजनीतिक गठबंधन है।
– दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ और अमेरिका दो सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे, जो दुनिया पर अपना दबदबा कायम करना चाहते थे। इससे अमेरिका और सोवियत संघ के संबंध बिगड़ने लगे और उनके बीच कोल्ड वॉर की शुरुआत हुई।
– तब सोवियत संघ को रोकने के लिए अमेरिकी और यूरोपीय देशों ने सैन्य गठबंधन बनाया था।
– स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी।
– हेडक्वार्टर बेल्जियम के ब्रसेल्स में है।
– NATO की स्थापना के समय अमेरिका समेत 12 देश इसके सदस्य थे। अब 32 सदस्य देश हैं, जिनमें 30 यूरोपीय और दो उत्तर अमेरिकी देश हैं।
– इस संगठन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी NATO देशों और उसकी आबादी की रक्षा करना है।
– NATO के आर्टिकल 5 के मुताबिक, इसके किसी भी सदस्य देश पर हमले को NATO के सभी देशों पर हमला माना जाएगा।
– 1952 में NATO से जुड़ा तुर्किये इसका एकमात्र मुस्लिम सदस्य देश है।
– महासचिव – मार्क रूटे
नाटो के सदस्य देश हैं:
– स्वीडन
– फिनलैंड
– अल्बानिया
– बेल्जियम
– बुल्गारिया
– कनाडा
– क्रोएशिया
– चेक रिपब्लिक
– डेनमार्क
– एस्तोनिया
– फ्रांस
– जर्मनी
– ग्रीस (यूनान)
– हंगरी
– आइसलैंड
– इटली
– लातविया
– लिथुआनिया
– लक्समबर्ग
– मोंटेनेग्रो
– नीदरलैंड
– उत्तर मैसेडोनिया
– नॉर्वे
– पोलैंड
– पुर्तगाल
– रोमानिया
– स्लोवाकिया
– स्लोवेनिया
– स्पेन
– तुर्किये
– यूनाइटेड किंगडम
– संयुक्त राज्य अमेरिका
नोट – फिनलैंड और स्वीडन, नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के 32वें और 31वें सदस्य हैं।
नीदरलैंड
– राजधानी : एम्स्टर्डम
– सम्राट : विलियम अलेक्जेंडर
– PM : डिक स्कोफ़
– मुद्रा : यूरो
– 1949 में NATO की स्थापना के बाद से यह पहला अवसर था जब नीदरलैंड ने शिखर सम्मेलन की मेजबानी की।
– इस आयोजन में 32 सदस्य देशों और साझेदार राष्ट्रों के करीब 45 राष्ट्राध्यक्ष और सरकार प्रमुख शामिल थे।
क्या है NATO
– NATO : नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (फ्रेंच भाषा में नाम – OTAN : ऑर्गेनाइज़ेशन डू ट्रैटे डे ल’अटलांटिक नॉर्ड)
– यह यूरोप और उत्तरी अमेरिकी देशों का एक सैन्य और राजनीतिक गठबंधन है।
– दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ और अमेरिका दो सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे, जो दुनिया पर अपना दबदबा कायम करना चाहते थे। इससे अमेरिका और सोवियत संघ के संबंध बिगड़ने लगे और उनके बीच कोल्ड वॉर की शुरुआत हुई।
– तब सोवियत संघ को रोकने के लिए अमेरिकी और यूरोपीय देशों ने सैन्य गठबंधन बनाया था।
– स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी।
– हेडक्वार्टर बेल्जियम के ब्रसेल्स में है।
– NATO की स्थापना के समय अमेरिका समेत 12 देश इसके सदस्य थे। अब 32 सदस्य देश हैं, जिनमें 30 यूरोपीय और दो उत्तर अमेरिकी देश हैं।
– इस संगठन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी NATO देशों और उसकी आबादी की रक्षा करना है।
– NATO के आर्टिकल 5 के मुताबिक, इसके किसी भी सदस्य देश पर हमले को NATO के सभी देशों पर हमला माना जाएगा।
– 1952 में NATO से जुड़ा तुर्किये इसका एकमात्र मुस्लिम सदस्य देश है।
– महासचिव – मार्क रूटे
नाटो के सदस्य देश हैं:
– स्वीडन
– फिनलैंड
– अल्बानिया
– बेल्जियम
– बुल्गारिया
– कनाडा
– क्रोएशिया
– चेक रिपब्लिक
– डेनमार्क
– एस्तोनिया
– फ्रांस
– जर्मनी
– ग्रीस (यूनान)
– हंगरी
– आइसलैंड
– इटली
– लातविया
– लिथुआनिया
– लक्समबर्ग
– मोंटेनेग्रो
– नीदरलैंड
– उत्तर मैसेडोनिया
– नॉर्वे
– पोलैंड
– पुर्तगाल
– रोमानिया
– स्लोवाकिया
– स्लोवेनिया
– स्पेन
– तुर्किये
– यूनाइटेड किंगडम
– संयुक्त राज्य अमेरिका
नोट – फिनलैंड और स्वीडन, नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के 32वें और 31वें सदस्य हैं।
नीदरलैंड
– राजधानी : एम्स्टर्डम
– सम्राट : विलियम अलेक्जेंडर
– PM : डिक स्कोफ़
– मुद्रा : यूरो
NATO समिट 2025 में सदस्य देशों (स्पेन के अलावा) ने अगले 10 साल में अपना रक्षा बजट कितना प्रतिशत तक बढ़ाने की सहमति जताई?
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5%
2%
35%
3%
54%
5%
6%
8%
– NATO के सदस्य देश अगले 10 साल में अपना रक्षा खर्च GDP का 5% तक बढ़ाएंगे।
– नीदरलैंड्स के द हेग शहर में हुई NATO समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूरोपीय देशों से रक्षा खर्च बढ़ाने को कहा था।
– ट्रम्प चाहते हैं कि सभी सदस्य देश अपने GDP का 5% रक्षा पर खर्च करें।
– 2024 तक NATO के खर्च में यूरोपीय देशों का कुल योगदान केवल 30% है, जो देशों की GDP का औसतन 2% है।
– जबकि अमेरिका लगभग 66 प्रतिशत खर्च करता है।
3.5%-1.5% का समझौता
– NATO में चल रहे मतभेदों के बीच महासचिव मार्क रूटे ने एक नया प्रस्ताव रखा।
– इस प्रस्ताव के मुताबिक, सदस्य देशों को अपनी GDP का 3.5% सीधे सेना और हथियारों पर खर्च करना होगा और 1.5% ऐसे कामों पर जो रक्षा से जुड़े हों।
– प्रस्ताव में 1.5% खर्च की परिभाषा बहुत खुली रखी गई है। इसका मतलब यह है कि हर देश इसे अपने तरीके से समझ सकता है और किसी भी खर्च को ‘रक्षा खर्च’ बता सकता है।
– कुछ देश जैसे पोलैंड, एस्टोनिया और लिथुआनिया (जिन्हें रूस से खतरा ज्यादा है) इस लक्ष्य को पाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
– बाकी यूरोपीय देश इस खर्च को पूरा करने में अभी काफी पीछे हैं। कई देशों के लिए यह खर्च बहुत बड़ा है और वे शायद 2032 या 2035 तक भी इस लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे।
स्पेन इस प्रस्ताव के विरोध में
– स्पेन ने कहा कि उसने नाटो के साथ 5% लक्ष्य से बाहर रहने का समझौता कर लिया है, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि यह आंकड़ा संयुक्त राज्य अमेरिका पर लागू नहीं होना चाहिए, केवल उसके सहयोगियों पर लागू होना चाहिए।
– स्पेन ने साफ कर दिया कि वह अपनी GDP का 5% रक्षा खर्च पर नहीं लगा सकता।
– स्पेन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वो 2.1% से ज्यादा खर्च नहीं करेगा।
– प्रधानमंत्री पेड्रो की सरकार पहले ही भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव में है, और ऐसे में खर्च बढ़ाना और मुश्किल हो गया है।
– फ्रांस, इटली, कनाडा और बेल्जियम जैसे देश भी इतना खर्च करने को लेकर सहज नहीं हैं।
NATO की स्थापना: 4 अप्रैल 1949
हेडक्वार्टर: बेल्जियम
महासचिव: मार्क रूटे
नोट – वर्ल्ड बैंक और सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2023 में अपने GDP का 2.4% मिलिटरी पर खर्च किया था।
– नीदरलैंड्स के द हेग शहर में हुई NATO समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूरोपीय देशों से रक्षा खर्च बढ़ाने को कहा था।
– ट्रम्प चाहते हैं कि सभी सदस्य देश अपने GDP का 5% रक्षा पर खर्च करें।
– 2024 तक NATO के खर्च में यूरोपीय देशों का कुल योगदान केवल 30% है, जो देशों की GDP का औसतन 2% है।
– जबकि अमेरिका लगभग 66 प्रतिशत खर्च करता है।
3.5%-1.5% का समझौता
– NATO में चल रहे मतभेदों के बीच महासचिव मार्क रूटे ने एक नया प्रस्ताव रखा।
– इस प्रस्ताव के मुताबिक, सदस्य देशों को अपनी GDP का 3.5% सीधे सेना और हथियारों पर खर्च करना होगा और 1.5% ऐसे कामों पर जो रक्षा से जुड़े हों।
– प्रस्ताव में 1.5% खर्च की परिभाषा बहुत खुली रखी गई है। इसका मतलब यह है कि हर देश इसे अपने तरीके से समझ सकता है और किसी भी खर्च को ‘रक्षा खर्च’ बता सकता है।
– कुछ देश जैसे पोलैंड, एस्टोनिया और लिथुआनिया (जिन्हें रूस से खतरा ज्यादा है) इस लक्ष्य को पाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।
– बाकी यूरोपीय देश इस खर्च को पूरा करने में अभी काफी पीछे हैं। कई देशों के लिए यह खर्च बहुत बड़ा है और वे शायद 2032 या 2035 तक भी इस लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएंगे।
स्पेन इस प्रस्ताव के विरोध में
– स्पेन ने कहा कि उसने नाटो के साथ 5% लक्ष्य से बाहर रहने का समझौता कर लिया है, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि यह आंकड़ा संयुक्त राज्य अमेरिका पर लागू नहीं होना चाहिए, केवल उसके सहयोगियों पर लागू होना चाहिए।
– स्पेन ने साफ कर दिया कि वह अपनी GDP का 5% रक्षा खर्च पर नहीं लगा सकता।
– स्पेन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि वो 2.1% से ज्यादा खर्च नहीं करेगा।
– प्रधानमंत्री पेड्रो की सरकार पहले ही भ्रष्टाचार और राजनीतिक दबाव में है, और ऐसे में खर्च बढ़ाना और मुश्किल हो गया है।
– फ्रांस, इटली, कनाडा और बेल्जियम जैसे देश भी इतना खर्च करने को लेकर सहज नहीं हैं।
NATO की स्थापना: 4 अप्रैल 1949
हेडक्वार्टर: बेल्जियम
महासचिव: मार्क रूटे
नोट – वर्ल्ड बैंक और सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2023 में अपने GDP का 2.4% मिलिटरी पर खर्च किया था।
विश्व पुलिस और अग्निशमन खेल (WPFG) 2029 की मेजबानी भारत के किस राज्य को मिली?
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9%
उत्तराखंड
42%
मध्य प्रदेश
22%
राजस्थान
27%
गुजरात
– यह आयोजन भारत सरकार के गृह मंत्रालय और गुजरात सरकार के सहयोग से होगा।
– आयोजन गुजरात के अहमदाबाद, गांधीनगर और एकता नगर में आयोजित किया जाएगा।
– इसमें 70 देश के 10,000 से अधिक खिलाड़ी भाग लेंगे।
– 1983 में पहले विश्व पुलिस और फायर खेलों की योजना शुरू हुई, जो 1985 में सैन जोस, कैलिफोर्निया में आयोजित किए गए।
– आयोजन गुजरात के अहमदाबाद, गांधीनगर और एकता नगर में आयोजित किया जाएगा।
– इसमें 70 देश के 10,000 से अधिक खिलाड़ी भाग लेंगे।
– 1983 में पहले विश्व पुलिस और फायर खेलों की योजना शुरू हुई, जो 1985 में सैन जोस, कैलिफोर्निया में आयोजित किए गए।
CBSE ने किस शैक्षणिक सत्र से 10वीं के छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की घोषणा की?
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25%
2025-26
52%
2026-27
22%
2027-28
1%
2028-29
– पहली परीक्षा अनिवार्य होगी, जबकि जो छात्र इसमें उत्तीर्ण होंगे, उन्हें तीन तक अकादमिक विषयों में अपने अंक सुधारने का विकल्प दूसरी वैकल्पिक परीक्षा के माध्यम से मिलेगा।
– दूसरी परीक्षा में वही छात्र बैठ सकते हैं जो पहली परीक्षा में कम से कम 3 विषयों में पास हों।
– यह महत्वपूर्ण बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है, जो परीक्षा प्रणाली को अधिक लचीला, छात्र-केंद्रित और तनाव-मुक्त बनाने पर बल देती है।
– दूसरी परीक्षा में वही छात्र बैठ सकते हैं जो पहली परीक्षा में कम से कम 3 विषयों में पास हों।
– यह महत्वपूर्ण बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप है, जो परीक्षा प्रणाली को अधिक लचीला, छात्र-केंद्रित और तनाव-मुक्त बनाने पर बल देती है।
MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग) दिवस कब मनाया जाता है?
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7%
26 जून
49%
27 जून
32%
28 जून
13%
29 जून
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