– केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के सिंगना में पेरू स्थित अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना को मंजूरी दे दी।
– यह फैसला केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 25 जून 2025 को किया।
– यह केंद्र दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा आलू अनुसंधान केंद्र होगा।
– सींगना में 138 हेक्टेयर में राजकीय आलू फार्म है।
– इसके दस हेक्टेयर में अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केंद्र, पेरू की नई शाखा खुलेगी।
परियोजना की कुल लागत ₹171 करोड़
– परियोजना की कुल लागत ₹171 करोड़ है , जिसमें भारत ₹111 करोड़ का योगदान देगा और सीआईपी (अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र) ₹60 करोड़ प्रदान करेगा।
– यूपी सरकार ने इसके लिए 10 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराई है।
अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) के बारे में
– इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर (इसे CIP के नाम से जाना जाता है, जो स्पेनिश भाषा के नाम “सेंट्रो इंटरनैशनल डे ला पापा” का शॉर्ट फॉर्म है)
– पेरू की राजधानी लीमा में इसका हेडक्वार्टर है।
– इसकी स्थापना 1971 में आलू, शकरकंद (sweet potato) और एंडियन जड़ों और कंदों पर ध्यान केंद्रित करते हुए की गई।
– आलू की फसल लैटिन अमेरिका में पेरू-बोलिवियन एंडीज की मूल निवासी है, और स्पेनियों और पुर्तगालियों द्वारा दुनिया भर में फैलाई गई जिन्होंने इस महाद्वीप पर उपनिवेश स्थापित किया।
– आलू 17वीं शताब्दी में भारत पहुंचे।
– यह केंद्र दुनिया में आलू और शकरकंद पर केंद्रित एक प्रमुख रिसर्च और डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन है।
– आगरा से पहले तक दुनिया में इसकी सिर्फ दो शाखाएं थी।
– पेरू के अलावा चीन और अफ्रीका में आलू पर शोध हो रहा है। अब आगरा के सींगना में ये तीसरा शोध केंद्र होगा।
आगरा के सींगना में केंद्र
– यहां आलू की ऐसी किस्मों को पैदा किया जाएगा, जो भारत में नहीं होती या आगरा व आस-पास क्षेत्र के वातावरण में नहीं हो सकती।
– 20 मई 2025 को पेरू अंतरराष्ट्रीय आलू बोर्ड सदस्यों ने सींगना फार्म का निरीक्षण किया था।
– इस केंद्र की स्थापना कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से होगी।
यह कदम महत्वपूर्ण क्यों है?
– चावल और गेहूं के बाद आलू दुनिया में तीसरी सबसे ज़्यादा उपलब्ध खाद्य फ़सल है।
– जबकि मक्का और कसावा के बाद शकरकंद छठे स्थान पर है।
– हालाँकि भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक है, उसके बाद चीन है, लेकिन इसकी औसत उपज 25 टन प्रति हेक्टेयर है।
– जो इसकी संभावित 50 टन प्रति हेक्टेयर से लगभग आधी है।
– इन कम संख्याओं का एक प्रमुख कारण उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता की कमी है।
– इस केंद्र की स्थापना से घरेलू आलू बीज उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पड़ोसी देशों से बीज आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी।
– अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) आलू के संरक्षण और आनुवंशिकी पर वैश्विक विज्ञान विशेषज्ञता को भारत में लाएगा।
भारत में प्रमुख उत्पादक राज्य
– उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल आलू उत्पादन में अग्रणी हैं, जिनमें से प्रत्येक ने 2020-21 में 15 मिलियन टन का योगदान दिया।
– बिहार में 9 मिलियन टन उत्पादन होता है, तथा गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
>>Click here to continue<<