– इंडोनेशिया के माउंट लेवोटोबी लाकी लाकी में मौजूद ज्वालामुखी में 17 जून 2025 को जोरदार विस्फोट हुआ।
– इसके बाद 17 से 18 जून तक कई बार विस्फोट हुए।
– इससे धुआं और राख का गुबार 11 किमी की ऊंचाई तक पहुंच गया।
– यह देखने में मशरूम जैसा लग रहा था। इसे 150 किमी दूर तक देखा जा सकता था।
– यह ज्वालामुखी इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पर स्थित है।
हाई लेवल वॉर्निंग जारी
– विस्फोट की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने सबसे हाई लेवल वॉर्निंग जारी की गई है।
– ज्वालामुखी से 8 किमी दूर तक के इलाके को खतरनाक क्षेत्र घोषित किया गया है।
– इस इलाके में राख और छोटे पत्थर गिर रहे हैं। राख और मलबा खतरनाक क्षेत्र से बाहर के गांवों तक भी गिरा है।
– नुराबेलेन गांव के कुछ निवासी कोंगा में बनाए गए राहत शिविरों में शरण लेने चले गए।
– इस विस्फोट के चलते गांवों से लोगों को निकाला गया और कई फ्लाइटें रद्द करनी पड़ीं।
कब कब हुए विस्फोट
– इस ज्वालामुखी में पहले भी कई बार विस्फोट हो चुके हैं। नवंबर में हुए विस्फोट में 9 लोगों की मौत और दर्जनों घायल हुए थे।
– इससे पहले मार्च 2025 में यह ज्वालामुखी तीन फट गया था।
जुड़वा ज्वालामुखी
– लेवोटोबी लाकी-लाकी एक जुड़वां ज्वालामुखी है।
– ये ज्वालामुखी इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप के दक्षिणपूर्वी भाग में स्थित है। यह द्वीप पर्यटकों के लिए काफी लोकप्रिय है।
– ज्वालामुखी 1,584 मीटर (5,197 फीट) ऊंचा है।
सबसे ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी इंडोनेशिया में
– दुनिया में 1500 एक्टिव यानी सक्रिय ज्वालामुखी है।
– इनमें सबसे ज्यादा 130 सक्रिय ज्वालामुखी इंडोनेशिया में है।
– सात ज्वालामुखियों में दो साल से लगातार विस्फोट हो ही रहा है. ये हैं- क्राकटाउ, मेरापी, लेवोटोलोक, कारांगेटांग, सेमेरू, इबू और डुकोनो।
रिंग ऑफ फायर
– यह देश पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) के ऊपर बसा है।
– इस इलाके में सबसे ज्यादा भौगोलिक और भूगर्भीय गतिविधियां होती हैं।
– इंडोनेशिया जिस जगह हैं, वहां पर यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट दक्षिण की ओर खिसक रही हैं।
– इंडियन-ऑस्ट्रेलियन टेक्टोनिक प्लेट उत्तर की ओर खिसक रही है. फिलिपीन्स प्लेटपश्चिम की तरफ जा रही है।
– अब इन तीनों प्लेटों में टकराव या खिसकाव की वजह से ज्वालामुखियों में विस्फोट होता रहता है.
ज्वालामुखी क्या है और कैसे फटता है?
– ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह में एक उद्घाटन या टूटना है, जो मैग्मा – जो गर्म तरल और अर्ध-तरल चट्टान के रूप में निकलता है, ज्वालामुखीय राख और गैसों को बाहर निकालता है।
– अन्य शब्दों में कहें, तो ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह पर उपस्थित ऐसी दरार या छिद्र (वेंट) होता है, जिसके माध्यम से पृथ्वी के आंतरिक भाग से लावा, राख, पिघली चट्टानें और गैसें बाहर निकलती हैं।
– पृथ्वी के मेंटल (पृथ्वी के तीन हिस्सों में से एक) में एक कमजोर क्षेत्र होता है, जिसे एस्थेनोस्फीयर (asthenosphere) कहा जाता है और मैग्मा इसमें मौजूद पदार्थ होता है।
– ज्वालामुखीय हॉटस्पॉट वे स्थान होते हैं, जो ऐसे स्थान पर पाए जाते हैं, जहां पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में मिलती हैं।
– समुद्र के भीतर अनुमानित एक मिलियन ज्वालामुखी हैं, और उनमें से अधिकांश टेक्टोनिक प्लेटों के पास स्थित हैं।
– जब टेक्टोनिक प्लेट आपस में टकराती हैं, तो इससे तापमान और दबाव बढ़ता जाता है। इसके बाद फिर मैग्मा बनता है, जो कि पृथ्वी की सतह के अंदर पिघला हुआ पदार्थ होता है।
– जब यही मैग्मा पृथ्वी की आंतरिक परत से बाहर आता है, तो उसे लावा कहा जाता है।
ज्वालामुखी विस्फोट के प्रभाव:
1. भूकंपीय गतिविधि (भूकंप):
– ज्वालामुखी के नीचे लावा की हलचल भूकंप को ट्रिगर कर सकती है, जिससे ज़मीन में दरारें पड़ सकती हैं और विनाश हो सकता है, खासकर आबादी वाले इलाकों में।
2. जलवायु प्रभाव:
– ज्वालामुखी विस्फोटों से गैसें निकलती हैं जो मौसम के पैटर्न को बाधित कर सकती हैं, जिससे संभावित रूप से अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन हो सकते हैं।
3. पाइरोक्लास्टिक प्रवाह:
– गैस और मलबे के गर्म, तेज़ गति वाले बादल (पाइरोक्लास्टिक प्रवाह) उच्च गति और तापमान के कारण अपने रास्ते में आने वाली हर चीज़ को नष्ट कर सकते हैं।
4. ज्वालामुखी राख:
– राख के कण साँस के ज़रिए अंदर जाने पर गंभीर श्वसन संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकते हैं और उच्च सांद्रता में, वे घातक हो सकते हैं।
5. स्वास्थ्य संबंधी खतरे:
– ज्वालामुखी गैसें और राख फेफड़ों की क्षति और श्वसन संबंधी बीमारियों सहित दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
इंडोनेशिया
– राजधानी : जकार्ता
– प्रेसिडेंट : प्रबोवो सुबियांटो
– मुद्रा : इंडोनेशियन रुफिया
– आबादी : 28 करोड़ (2023)
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